Donald_Trum का यू-टर्न
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डोनाल्ड ट्रंप का यू-टर्न: भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर अमेरिकी राष्ट्रपति का नया रुख

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर अपने पहले के बयान से पलटते हुए एक नया रुख अपनाया है। इस बदलाव ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और क्षेत्रीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं। आइए, इस घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।


1.मध्यस्थता का दावा

कुछ दिन पहले ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने में मध्यस्थता की है। उन्होंने इसे अपनी कूटनीतिक सफलता के तौर पर पेश किया। इस बयान के बाद भारत ने स्पष्ट किया कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता और यह समझौता पाकिस्तान की पहल पर हुआ है।


2. ट्रंप का नया बयान

हाल ही में ट्रंप ने अपने पहले के बयान से पलटते हुए कहा, “मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैंने यह किया, लेकिन मैंने मदद की।” इससे पता चलता है कि उन्होंने अपनी भूमिका को कम करके आंका है। यह बयान उनके पहले के दावे से स्पष्ट विरोधाभास है।


3. भारत का रुख: पाकिस्तान की पहल पर हुआ समझौता

भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि सीजफायर समझौता पाकिस्तान की पहल पर हुआ था। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान के सैन्य प्रमुखों ने भारतीय समकक्षों से संपर्क किया और दोनों देशों ने आपसी सहमति से संघर्ष विराम की घोषणा की। इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता शामिल नहीं थी।


4. पाकिस्तान का दृष्टिकोण: ट्रंप का धन्यवाद

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्रंप के बयान का स्वागत करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने इसे क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया। हालांकि, भारत ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।


5. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: सतर्कता और समर्थन

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की सराहना की है। उन्होंने इसे दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने इस समझौते की दीर्घकालिक सफलता पर सवाल उठाए हैं।


निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर यू-टर्न अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह दर्शाता है कि क्षेत्रीय मुद्दों पर बयानबाजी और वास्तविकता में अंतर हो सकता है। भारत की स्पष्ट नीति और पाकिस्तान की पहल ने इस समझौते को आकार दिया है। अब देखना यह है कि यह सीजफायर कितने समय तक कायम रहता है और क्या यह क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक स्थायी कदम साबित होगा।

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